City, rain, moon, dreams
- Anukrti Upadhyay
Rain drops
Sea-born
Cloud—borne
Wind-shed
fall on cheeks
pain-grey
Rainbow dreams
waft in the wind
Closed eyes
catch them
and dream them
again
wide awake
on a grey day
Rivers of colours
Rivers of light
Rivers of darkness
Rivers hope-bright
Rivers, rivers, rivers
nameless numberless
ebb and flow
On the sea-shore
a broken moon
shines
Now and eternally
*
शहर, बारिश, चाँद, सपने
शहर के भाल पर
बूँदें पसीने की
पसीजे बादलों से
झरी हैं अभी
बस अभी
सीझी पीर
भाप सी उड़ जाएगी
सतरंग स्वप्नों सी
देर तक मँडराएगी
साझी पीर
उमड़ती नदियाँ
अनगिन अनाम
रोशन रंगों की
छलकी तरंगें
अंधेरों के बीहड़ तटों पर
डोलती हैं
लहरें उजालों की
टूटे चाँद को
भर बाँह में
जागता है
हर रात
रात दर रात
सागर तपस्वी